जिन्हें विश्वास न हो वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।” इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें

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नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 11 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “जिन्हें विश्वास न हो वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।” इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें”का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।

जिन्हें विश्वास न हो वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।” इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें

प्रश्न: जिन्हें विश्वास न हो वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।” इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें।

उत्तर –  सप्रसंग व्याख्या-प्रस्तुत सारगर्भित पंक्तियाँ हमारे ९ पाठ्य पुस्तक ‘दिगंत, भाग-I’ में संकलित ‘उतरी स्वप्न परी हरी क्रांति’ शीर्षक संस्मरणात्मक रिपोर्ताज से उद्धृत है। इसके लेखक फणीश्वरनाथ रेणु हैं। पाठ के अंत में कोसी क्षेत्र में आये सुंदर बदलावों के मद्देनजर यह लेखक के प्रसन्न मन का सहजा उद्गार है। 

प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कोसी क्षेत्र की पुरानी स्थिति और आज के बदलावों के बीच अंतर को दर्शाया है। जहाँ एक समय इस क्षेत्र में केवल दुख और कठिनाईयाँ थीं, आज वहाँ खुशहाली और समृद्धि फैली हुई है। कोसी योजना ने वहाँ के लोगों के जीवन को बदलकर रख दिया है। लेखक का कहना है कि जो लोग कभी उनकी बातों पर हँसते थे, वे अब अपनी आँखों से इस बदलाव को देखकर दंग रह सकते हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक ने विकास और सुधार के महत्व को उजागर किया है।

आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न

Q. चलचित्र किन शिल्प साहित्यों से अपने निर्माण का तत्व लेता है

Q. झंकार शीर्षक कविता में कवि को आघातों की चिंता क्यों नहीं है

Q. भारत दुर्दशा’ शीर्षक कविता में कवि सभी भारतीयों को किस लिए आमंत्रित करता है और क्यों? 

Q. तोड़ती पत्थर शीर्षक कविता में स्त्री अपने हथौड़े से किस प्रकार प्रहार करती है

Q. गालिब गैर नहीं है अपनों से अपने हैं के द्वारा कवि त्रिलोचन ने क्या कहना चाहा हैं

Q. लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने कोसी अंचल का परिचय किस तरह दिया है

Q. शेरा कौन है और उसके साथ साहनी का क्या संबंध है

Q. जिन्हें विश्वास न हो वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।” इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें

Or

अंग्रेज राज सुख साज सजे सब भारी। पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी प्रस्तुत पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या करें

Q. परीक्षा में शानदार सफलता के लिए अपने मित्र को बधाई देते हुए एक पत्र लिखिए

Or

अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पास चरित्र प्रमाण-पत्र हेतु एक आवेदन-पत्र लिखें

दूसरा उतर 

सप्रसंग व्याख्या-प्रस्तुत सारगर्भित पंक्तियाँ हमारे ९ पाठ्य पुस्तक ‘दिगंत, भाग-I’ में संकलित ‘उतरी स्वप्न परी हरी क्रांति’ शीर्षक संस्मरणात्मक रिपोर्ताज से उद्धृत है। इसके लेखक फणीश्वरनाथ रेणु हैं। पाठ के अंत में कोसी क्षेत्र में आये सुंदर बदलावों के मद्देनजर यह लेखक के प्रसन्न मन का सहजा उद्गार है। 

प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कोसी क्षेत्र में आए सकारात्मक बदलावों का वर्णन किया है। वह उन लोगों को संबोधित करते हैं, जो कभी उनके सपनों पर संदेह करते थे। लेखक ने पहले जिस तरह की स्थिति की कल्पना की थी, आज वही वास्तविकता बन गई है। कभी बंजर और वीरान रहने वाला कोसी क्षेत्र अब हरे-भरे खेतों से भर गया है। यह क्षेत्र, जहाँ जीवन कभी कठिनाइयों से भरा था, अब समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक बन गया है। लेखक कहते हैं कि जिन लोगों को इस परिवर्तन पर भरोसा नहीं है, वे स्वयं आकर इस दृश्य को अपनी आँखों से देख सकते हैं। यह पंक्तियाँ बदलाव, उम्मीद और विकास का संदेश देती हैं।

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