नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 11 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “झंकार शीर्षक कविता में कवि को आघातों की चिंता क्यों नहीं है”(Jhankar shirshak Kavita mein Kavi ko aaghaton ki chinta kyon nahin hai) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
झंकार शीर्षक कविता में कवि को आघातों की चिंता क्यों नहीं है । Jhankar shirshak Kavita mein Kavi ko aaghaton ki chinta kyon nahin hai
प्रश्न: झंकार शीर्षक कविता में कवि को आघातों की चिंता क्यों नहीं है । Jhankar shirshak Kavita mein Kavi ko aaghaton ki chinta kyon nahin hai
उत्तर – कविता ‘झंकार’ में कवि आघातों की चिंता नहीं करते क्योंकि यह कविता स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा और संघर्ष की महत्ता को दर्शाती है। महाकवि मैथिलीशरण गुप्त ने इस कविता के माध्यम से स्वतंत्रता की भावना और समर्पण को प्रमुखता दी है, जिससे आघातों की चिंता गौण हो जाती है।
आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न
Q. चलचित्र किन शिल्प साहित्यों से अपने निर्माण का तत्व लेता है
Q. झंकार शीर्षक कविता में कवि को आघातों की चिंता क्यों नहीं है
Q. भारत दुर्दशा’ शीर्षक कविता में कवि सभी भारतीयों को किस लिए आमंत्रित करता है और क्यों?
Q. तोड़ती पत्थर शीर्षक कविता में स्त्री अपने हथौड़े से किस प्रकार प्रहार करती है
Q. गालिब गैर नहीं है अपनों से अपने हैं के द्वारा कवि त्रिलोचन ने क्या कहना चाहा हैं
Q. लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने कोसी अंचल का परिचय किस तरह दिया है
Q. शेरा कौन है और उसके साथ साहनी का क्या संबंध है
Or
Q. परीक्षा में शानदार सफलता के लिए अपने मित्र को बधाई देते हुए एक पत्र लिखिए
Or
अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पास चरित्र प्रमाण-पत्र हेतु एक आवेदन-पत्र लिखें
दूसरा उतर
‘झंकार’ कविता में कवि आघातों की चिंता इसलिए नहीं करते क्योंकि उनका ध्यान स्वतंत्रता संग्राम की वीरता और प्रेरणा पर केंद्रित है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता के आदर्शों और बलिदान को प्रमुखता दी है, जिससे व्यक्तिगत आघात की चिंता अप्रासंगिक हो जाती है।
तीसरा उतर
कविता ‘झंकार’ में कवि आघातों की चिंता नहीं करते क्योंकि वे स्वतंत्रता संग्राम की ऊंचाइयों और आदर्शों का आदर करते हैं। इस कविता में कवि ने स्वतंत्रता संग्राम के बलिदान और उसकी प्रेरणादायक शक्तियों को ही केंद्रित किया है, जिससे आघातों की चिंता की कोई जगह नहीं है।
चौथा उतर
‘झंकार’ में कवि आघातों की चिंता नहीं करते क्योंकि उनका ध्यान स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा और बलिदान पर है। उन्होंने इस कविता में स्वतंत्रता संग्राम की महानता और उसके आदर्शों को उजागर किया है, जिससे व्यक्तिगत आघात की चिंता गौण हो जाती है।