नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 10 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा पद का सारांश अपने शब्दों में लिखें”(Ram Naam binnu birte jagir janma pad ka saransh Apne shabdon mein likhen का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा पद का सारांश अपने शब्दों में लिखें । Ram Naam binnu birte jagir janma pad ka saransh Apne shabdon mein likhen
प्रश्न: राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा पद का सारांश अपने शब्दों में लिखें । Ram Naam binnu birte jagir janma pad ka saransh Apne shabdon mein likhen
उत्तर – गुरु नानक का कहना है कि राम के नाम का स्मरण किए बिना जीवन व्यर्थ है। लोग भले ही धार्मिक अनुष्ठान करें, लेकिन अगर वे राम का नाम नहीं लेते, तो उनका जीवन असार रहता है। शास्त्रों और पूजन की विधियों से अधिक जरूरी है कि मनुष्य अपने हृदय में ईश्वर का ध्यान रखें। बाहरी दिखावे और धार्मिक कर्मकांड, जैसे तीर्थ यात्रा या साधु वस्त्र, केवल दिखावे के लिए होते हैं। वास्तव में, जो व्यक्ति सुख-दुख, मान-अपमान और अन्य सांसारिक भावनाओं से ऊपर उठकर एक समान भाव में रहता है, उसके हृदय में ब्रह्म का निवास होता है। नानक ने राम का भजन करके ईश्वर के साथ एकाकार होने का प्रयास किया और यही सबसे महत्वपूर्ण है।
आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न
Q. गुरु नानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है
Q. मंगम्मा अपने बेटे-बहू से अलग क्यों हो गई
Q. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है
Q. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है
Q. श्रम विभाजन कैसे समाज की आवश्यकता है
Q. सेन साहब खोखा में कैसी संभावनाएं देखते थे
Q. हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया” इसकी सप्रसंग प्याख्या कीजिए
Q. अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे
Q. मंगम्मा ने माँजी की आदमी को वश में रखने के कौन-से गुर बताए
Q. राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा पद का सारांश अपने शब्दों में लिखें
दूसरा उतर
गुरु नानक का यह विचार है कि बिना राम के नाम के स्मरण से जीवन की सार्थकता नहीं मिलती। जब लोग धार्मिक अनुष्ठान करते हैं लेकिन राम का नाम नहीं लेते, तो उनका जीवन व्यर्थ हो जाता है। बाहरी दिखावे, जैसे धार्मिक वस्त्र और तीर्थ यात्रा, वास्तविक मुक्ति का उपाय नहीं हैं। असली शांति तब मिलती है जब व्यक्ति भगवान के नाम का चिंतन करता है और जीवन की सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है। इसलिए, गुरु नानक ने इस बात पर जोर दिया कि केवल नाम-स्मरण ही जीवन को सही दिशा में ले जाता है।
तीसरा उतर
गुरु नानक का कहना है कि लोग कई धार्मिक कर्मकांड करते हैं, जैसे तीर्थ यात्रा और साधु वस्त्र पहनना, लेकिन अगर वे राम का नाम नहीं लेते, तो उनकी यह सब गतिविधियाँ बेकार हो जाती हैं। नानक ने यह स्पष्ट किया कि सच्ची मुक्ति केवल राम के भजन से ही प्राप्त की जा सकती है। बाहरी दिखावे और धार्मिक अनुष्ठान केवल समय की बर्बादी हैं यदि वे राम के नाम की महिमा के बिना हों। इसीलिए, नानक ने राम के नाम के भजन को जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया।
चौथा उतर
गुरु नानक के अनुसार, बाहरी धार्मिक दिखावे जैसे तीर्थ यात्रा और साधु वस्त्र धारण करने से जीवन में शांति और मुक्ति नहीं मिलती। असली शांति तब प्राप्त होती है जब व्यक्ति भगवान के नाम का चिंतन करता है और सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठता है। राम का नाम लेने से ही जीवन को सही दिशा मिलती है और असार संसार से मुक्ति प्राप्त होती है। नानक ने यह भी बताया कि मनुष्य को दुख-सुख और मान-अपमान की परवाह किए बिना एक समान भाव में रहना चाहिए, तभी वह सच्चे अर्थ में ब्रह्म को प्राप्त कर सकता है।