अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे । Ambedkar ki Drishti mein jaati pratha arthik pahlu se bhi hanikarak hai kaise 

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नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 10 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे”(Ambedkar ki Drishti mein jaati pratha arthik pahlu se bhi hanikarak hai kaise) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।

अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे । Ambedkar ki Drishti mein jaati pratha arthik pahlu se bhi hanikarak hai kaise

प्रश्न:  अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे । Ambedkar ki Drishti mein jaati pratha arthik pahlu se bhi hanikarak hai kaise

उत्तर –  जातिप्रथा आर्थिक दृष्टि से नुकसानदायक है क्योंकि यह कुछ जातियों को विशेषाधिकार देती है और अन्य जातियों को अवसरों से वंचित करती है। अंबेदकर के अनुसार, यह असमानता सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा डालती है। जब एक जाति को ही आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं, तो समाज के अन्य सदस्य पिछड़े रहते हैं। इससे समग्र आर्थिक प्रगति रुक जाती है और समाज में आर्थिक विषमता बढ़ती है। यह भी होता है कि जिन जातियों को अवसर नहीं मिलते, वे आर्थिक असुरक्षा और गरीबी का सामना करती हैं, जिससे समाज में सामंजस्य और विकास में रुकावट आती है।

आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न

Q. गुरु नानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है

Q. मंगम्मा अपने बेटे-बहू से अलग क्यों हो गई

Q. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है

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Q. श्रम विभाजन कैसे समाज की आवश्यकता है

Q. सेन साहब खोखा में कैसी संभावनाएं देखते थे

Q. हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया” इसकी सप्रसंग प्याख्या कीजिए

Q. अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे

Q. मंगम्मा ने माँजी की आदमी को वश में रखने के कौन-से गुर बताए

Q. राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा पद का सारांश अपने शब्दों में लिखें

दूसरा उतर 

जातिप्रथा का आर्थिक पहलू इसलिए हानिकारक है क्योंकि यह सामाजिक वर्गों के बीच आर्थिक विषमताओं को बढ़ावा देती है। अंबेदकर ने बताया कि जातिप्रथा के कारण समाज में कुछ वर्गों को आर्थिक लाभ होता है जबकि अन्य वर्गों को नुकसान होता है। यह भेदभाव विशेषाधिकार प्राप्त जातियों को वित्तीय संसाधनों और अवसरों का लाभ देता है, जिससे उनके पास अधिक संपत्ति और धन जमा होता है। दूसरी ओर, अन्य जातियाँ अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के अवसर से वंचित रहती हैं, जिससे समाज में असमानता और संघर्ष बढ़ता है।

तीसरा उतर 

जातिप्रथा आर्थिक रूप से हानिकारक है क्योंकि यह लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को बाधित करती है। अंबेदकर के अनुसार, जातिवाद के कारण कुछ जातियों को शिक्षा, रोजगार और व्यवसाय के अवसर प्राप्त होते हैं, जबकि अन्य जातियाँ इन अवसरों से वंचित रहती हैं। इससे समाज में आर्थिक विषमता उत्पन्न होती है और कुछ वर्ग लगातार पिछड़े रहते हैं। इस स्थिति के चलते समाज में विकास की गति धीमी हो जाती है और आर्थिक असमानता बढ़ती है, जिससे सामाजिक समरसता और प्रगति में बाधा आती है।

चौथा उतर 

अंबेदकर के अनुसार, जातिप्रथा आर्थिक दृष्टिकोण से हानिकारक है क्योंकि यह समाज में असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देती है। जातिवाद के कारण विशेष जातियाँ वित्तीय और सामाजिक संसाधनों पर कब्जा करती हैं, जबकि अन्य जातियाँ इन संसाधनों से वंचित रहती हैं। यह भेदभाव आर्थिक अवसरों की असमानता पैदा करता है, जिससे कुछ वर्ग आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं और अन्य वर्ग पिछड़े रहते हैं। इस असमानता के चलते समाज में स्थिरता और प्रगति में बाधाएं उत्पन्न होती हैं, और समग्र आर्थिक विकास प्रभावित होता है।

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