नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 10 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है”(Guru ki kripa se kis yukti ki pahchan ho paati hai) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है । Guru ki kripa se kis yukti ki pahchan ho paati hai
प्रश्न: गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है । Guru ki kripa se kis yukti ki pahchan ho paati hai
उत्तर – गुरु की कृपा से ब्रह्म का मार्ग प्राप्त होता है। यह कृपा शिष्य को आंतरिक समझ, ध्यान, और संयम के साथ आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाती है। गुरु का मार्गदर्शन ब्रह्म की प्राप्ति के लिए सबसे आवश्यक साधन है, जो सही दिशा में चलने में मदद करता है।
आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न
Q. गुरु नानक की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है
Q. मंगम्मा अपने बेटे-बहू से अलग क्यों हो गई
Q. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है
Q. गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है
Q. श्रम विभाजन कैसे समाज की आवश्यकता है
Q. सेन साहब खोखा में कैसी संभावनाएं देखते थे
Q. हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया” इसकी सप्रसंग प्याख्या कीजिए
Q. अंबेडकर की दृष्टि में जातिप्रथा आर्थिक पहलू से भी हानिकारक है कैसे
Q. मंगम्मा ने माँजी की आदमी को वश में रखने के कौन-से गुर बताए
Q. राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा पद का सारांश अपने शब्दों में लिखें
दूसरा उतर
गुरु की कृपा से व्यक्ति जीवन के गहरे अर्थ को समझता है। वह आत्मज्ञान के पथ पर चलकर अपनी सीमाओं से परे जाता है और वास्तविकता के सार तक पहुंचने की कोशिश करता है। गुरु का मार्गदर्शन शिष्य के मन में शांति और संतुलन लाने में सहायक होता है, जिससे वह ब्रह्म की प्राप्ति के करीब आता है।
तीसरा उतर
जब गुरु की कृपा शिष्य पर होती है, तब उसे ब्रह्म की ओर जाने का मार्ग स्पष्ट होता है। यह कृपा जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह भर देती है, जिससे शिष्य खुद को गहन विचारों और ध्यान में डुबोने के लिए प्रेरित होता है। इस दौरान, उसे सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
चौथा उतर
गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति ब्रह्म की ओर उन्मुख होता है। गुरु का सान्निध्य शिष्य को सच्ची शिक्षा, धैर्य और अनुशासन सिखाता है। यह कृपा शिष्य की आत्मा को शुद्ध करती है और उसे संसार की माया से मुक्त होने की दिशा में अग्रसर करती है। ब्रह्म की प्राप्ति का यह मार्ग गुरु की कृपा से सरल होता है।