सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त पर एक निबंध लिखें । Samprbhuta ke bahulwadi Siddhant per ek nibandh likhen

नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 11 के राजनीति शास्त्र विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त पर एक निबंध लिखें”(Samprbhuta ke bahulwadi Siddhant per ek nibandh likhen) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।

सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त पर एक निबंध लिखें । Samprbhuta ke bahulwadi Siddhant per ek nibandh likhen

प्रश्न: सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त पर एक निबंध लिखें । Samprbhuta ke bahulwadi Siddhant per ek nibandh likhen

उत्तर –

सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त का उद्देश्य समाज में विभिन्न विचारधाराओं और समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। यह सिद्धान्त मानता है कि समाज की विविधता को एक कमजोरी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे एक शक्ति के रूप में माना जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, स्विट्जरलैंड में विभिन्न भाषा और सांस्कृतिक समूहों को समान अधिकार और प्रतिनिधित्व मिलता है, जो इस सिद्धान्त का एक अच्छा उदाहरण है। इस दृष्टिकोण से, समाज में समानता और सम्मान की भावना को बढ़ावा मिलता है।

आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न

Q. राजनीति विज्ञान की परंपरागत परिभाषा को स्पष्ट करें

Q. क्या राजनीति सत्ता का अध्ययन है

Q. राजनीति का अध्यन राष्ट्र से शुरू व राष्ट्र पर समाप्त होता है संक्षिप्त वर्णन करें

Q. उत्तर व्यवहारवादी क्रान्ति क्या है

Q. राज्य की उत्पत्ति के दैविक सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना करें

Q. नकारात्मक स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं

Q. वैध और वास्तविक प्रभुसता का क्या अर्थ है

Q. राजनीति विज्ञान की परम्परागत व आधुनिक परिभाषाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण करें

Q. राजनीति विज्ञान के अध्ययन की व्यवहारवादी पद्धति की विशेषताओं पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें 

Q. राष्ट्र से आप क्या समझते हैं ? इसके तत्वों का वर्णन करें

Q. ऑस्टिन के प्रभुसता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या करें

Q. सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त पर एक निबंध लिखें

दूसरा उतर 

बहुलवादी सिद्धान्त में एक प्रमुख तत्व समाज की विविधता को मान्यता देना और उसे एकीकृत करना है। यह सिद्धान्त यह मानता है कि समाज में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों के बीच समानता और सहयोग की भावना का विकास आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर, कनाडा की बहुलवादी नीति विभिन्न जातीय और सांस्कृतिक समूहों को सम्मान और समान अवसर प्रदान करती है। इस दृष्टिकोण से, समाज में विभिन्न विचारधाराओं के बीच सहयोग और सामंजस्य बढ़ता है, जिससे समाज में शांति और स्थिरता बनी रहती है।

तीसरा उतर 

सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त की विशेषता इसका सहिष्णुता और समावेशिता का दृष्टिकोण है। यह सिद्धान्त यह मानता है कि विविधता समाज की ताकत होती है, और विभिन्न समूहों को समान अवसर और प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका में विभिन्न सांस्कृतिक और जातीय समूहों को समान अधिकार और अवसर दिए जाते हैं। इस सिद्धान्त के तहत, समाज में विभिन्न समूहों के बीच संतुलन बनाए रखा जाता है और सबके हितों की रक्षा की जाती है।

चौथा उतर 

सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त का आधार विविधता की स्वीकृति है। इसके अनुसार, एक लोकतांत्रिक समाज में विभिन्न विचारधाराओं और सांस्कृतिक समूहों की पहचान को मान्यता दी जाती है। इस सिद्धान्त के तहत, बहुलता को समाज की शक्ति के रूप में देखा जाता है, न कि विघटनकारी तत्व के रूप में। उदाहरण के तौर पर, भारत में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूह एक साथ coexist करते हैं, जो बहुलवादी सिद्धान्त की पुष्टि करता है। यह सिद्धान्त समाज में सामंजस्य और सहयोग को बढ़ावा देता है।

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