राज्य की उत्पत्ति के दैविक सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना करें । Rajya ki utpati ke daivik Siddhant ke sankshipt vivechana Karen

नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 11 के राजनीति शास्त्र विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “राज्य की उत्पत्ति के दैविक सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना करें”(Rajya ki utpati ke daivik Siddhant ke sankshipt vivechana Karen)का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।

राज्य की उत्पत्ति के दैविक सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना करें । Rajya ki utpati ke daivik Siddhant ke sankshipt vivechana Karen

प्रश्न: राज्य की उत्पत्ति के दैविक सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना करें । Rajya ki utpati ke daivik Siddhant ke sankshipt vivechana Karen

उत्तर –

दैविक सिद्धांत में यह विश्वास था कि राज्य की उत्पत्ति किसी सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह ईश्वर की इच्छा का परिणाम है। शासक को सीधे ईश्वर से शासन करने का अधिकार मिलता है। यह विचार धार्मिक आधार पर राज्य और शासक की सर्वोच्चता को स्थापित करता है, जिससे लोग स्वेच्छा से शासक का अनुकरण करते थे।

आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न

Q. राजनीति विज्ञान की परंपरागत परिभाषा को स्पष्ट करें

Q. क्या राजनीति सत्ता का अध्ययन है

Q. राजनीति का अध्यन राष्ट्र से शुरू व राष्ट्र पर समाप्त होता है संक्षिप्त वर्णन करें

Q. उत्तर व्यवहारवादी क्रान्ति क्या है

Q. राज्य की उत्पत्ति के दैविक सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना करें

Q. नकारात्मक स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं

Q. वैध और वास्तविक प्रभुसता का क्या अर्थ है

Q. राजनीति विज्ञान की परम्परागत व आधुनिक परिभाषाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण करें

Q. राजनीति विज्ञान के अध्ययन की व्यवहारवादी पद्धति की विशेषताओं पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें 

Q. राष्ट्र से आप क्या समझते हैं ? इसके तत्वों का वर्णन करें

Q. ऑस्टिन के प्रभुसता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या करें

Q. सम्प्रभुत्ता के बहुलवादी सिद्धान्त पर एक निबंध लिखें

दूसरा उतर 

प्राचीन समय में यह धारणा थी कि राज्य और शासक की स्थापना पृथ्वी पर नहीं, बल्कि ईश्वरीय हस्तक्षेप से होती है। शासक को दिव्यता का प्रतीक माना जाता था और उसे सर्वशक्तिमान माना जाता था। ईश्वर द्वारा दी गई यह शक्ति राज्य को स्थायित्व और शासक को अधिकार देती थी, जिससे उसका शासन न्यायपूर्ण माना जाता था।

तीसरा उतर 

राज्य की उत्पत्ति का यह सिद्धांत मानता है कि शासक की सत्ता स्वर्ग या किसी अलौकिक शक्ति से प्राप्त होती है। शासक ईश्वर के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं, जो समाज का संचालन करते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, लोगों को शासक की आज्ञाओं का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। इससे राज्य की सत्ता को पवित्र और अटल रूप में देखा जाता है।

चौथा उतर 

दैविक सिद्धांत में यह विश्वास था कि राज्य की उत्पत्ति किसी सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह ईश्वर की इच्छा का परिणाम है। शासक को सीधे ईश्वर से शासन करने का अधिकार मिलता है। यह विचार धार्मिक आधार पर राज्य और शासक की सर्वोच्चता को स्थापित करता है, जिससे लोग स्वेच्छा से शासक का अनुकरण करते थे।

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