नमस्कार स्टूडेंट आज के इस आर्टिकल में बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं के इतिहास विषय कि अगस्त 2024 मासिक परीक्षा में पूछा जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न ‘मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें”(Mesopotamia sabhyata ki do Pramukh visheshtaon ka ullekh Karen) का जवाब दिया गया हैं।
मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें । Mesopotamia sabhyata ki do Pramukh visheshtaon ka ullekh Karen
प्रश्न: मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें । Mesopotamia sabhyata ki do Pramukh visheshtaon ka ullekh Karen
उत्तर- मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. लेखन प्रणाली: मेसोपोटामिया की सभ्यता ने क्यूनिफॉर्म लेखन प्रणाली का विकास किया, जो पहले ज्ञात लेखन प्रणालियों में से एक है। इस प्रणाली में सिरेमिक कीलों के द्वारा मिट्टी की पट्टियों पर चिन्ह बनाए जाते थे।
2. विकसित जल प्रबंधन: इस सभ्यता ने सिंचाई के लिए जटिल जल प्रबंधन प्रणालियों का उपयोग किया, जिससे उन्हें खेती में सफलता मिली और शहरों के विकास में मदद मिली।
दूसरा उतर
मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं:
1. लिखित भाषा: मेसोपोटामिया की सभ्यता ने लेखन प्रणाली का विकास किया, जिसमें क्यूनिफॉर्म स्क्रिप्ट का उपयोग किया गया। यह प्रणाली पुरानी सभ्यताओं में सबसे पहली लिखित भाषा प्रणाली थी.
2. सिंचाई प्रणाली: मेसोपोटामिया के लोग सिंचाई की उन्नत तकनीक का प्रयोग करते थे, जिससे उन्होंने सूखे क्षेत्रों में कृषि का विकास किया। नदियों के पानी को फसलों के लिए व्यवस्थित रूप से प्रयोग में लाया गया, जिससे कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ।
तीसरा उतर
मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. सहरियों का विकास: मेसोपोटामिया में पहले शहरों का निर्माण हुआ, जैसे उर, बाबिल और एश्नुना। ये शहर विभिन्न सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बन गए थे, जहां व्यापार, प्रशासन, और संस्कृति का समागम होता था।
2. लेखन प्रणाली: मेसोपोटामिया में क्यूनीफॉर्म लेखन की शुरुआत हुई, जो पहले पांडुलिपि और प्रशासनिक दस्तावेजों के लिए उपयोगी साबित हुआ। इस प्रणाली ने रिकॉर्ड-कीपिंग और ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चौथा उतर
मेसोपोटामिया सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. लेख प्रणाली: मेसोपोटामिया में लेख प्रणाली का विकास हुआ, जिसे क्यूनीफॉर्म (cuneiform) कहा जाता है। यह प्रणाली पत्तों और मिट्टी की पट्टियों पर लिखी जाती थी और व्यापार, प्रशासन, और धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती थी।
2. सिंचाई प्रणाली: इस सभ्यता ने सिंचाई की उन्नत तकनीक विकसित की, जिससे निर्बाध जल आपूर्ति संभव हो सकी। नदियों के किनारे पर बनी सिंचाई नहरें और तालाब फसलों की उपज बढ़ाने में सहायक थीं।