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मेसोपोटामिया सभ्यता के आरंभिक नगरों के विकास का वर्णन करें । Mesopotamia sabhyata ke aarambhik nagron ke Vikas ka varnan Karen

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नमस्कार स्टूडेंट आज के इस आर्टिकल में बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं के इतिहास विषय कि अगस्त 2024 मासिक परीक्षा में पूछा जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न ‘मेसोपोटामिया सभ्यता के आरंभिक नगरों के विकास का वर्णन करें”(Mesopotamia sabhyata ke aarambhik nagron ke Vikas ka varnan Karen) का जवाब दिया गया हैं। 

मेसोपोटामिया सभ्यता के आरंभिक नगरों के विकास का वर्णन करें । Mesopotamia sabhyata ke aarambhik nagron ke Vikas ka varnan Karen

प्रश्न: मेसोपोटामिया सभ्यता के आरंभिक नगरों के विकास का वर्णन करें । Mesopotamia sabhyata ke aarambhik nagron ke Vikas ka varnan Karen

उत्तर- मेसोपोटामिया सभ्यता के आरंभिक नगरों का विकास:

  • – शुरुआती बस्तियाँ नदियों के किनारे बसाईं गईं, विशेष रूप से टिगरिस और यूफ्रेटीस के पास।
  • – कृषि का विस्तार हुआ जिससे स्थाई निवास और नगरों का गठन संभव हुआ।
  • – व्यापार और उत्पादन के केंद्रीकरण ने नगरों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया।
  • – श्रम विभाजन ने सामाजिक संरचना को और जटिल किया, जिसमें शिल्पकार, व्यापारी, और प्रशासनिक वर्ग उभरे।
  • – नगरों की रक्षा के लिए मजबूत किलेबंदी और दीवारें बनाई गईं।
  • – धार्मिक केंद्रों के निर्माण ने नगरों को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान दी।
  • – लेखन प्रणाली का विकास हुआ, जो प्रशासन और व्यापार के लिए आवश्यक थी।
  • – शासन व्यवस्था और कानूनी प्रणालियों ने नगरों को संगठित और व्यवस्थित किया।
  • – नहरों और जलाशयों के निर्माण ने सिंचाई में सुधार लाया, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ा।
  • – कला, वास्तुकला, और साहित्य ने नगरों की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया।

दूसरा उतर 

– स्रोत और समयावधि:

  – मेसोपोटामिया सभ्यता का विकास मुख्यतः 3500-3000 ईसा पूर्व हुआ।

  – यह क्षेत्र आधुनिक इराक और सीरिया के कुछ हिस्सों में स्थित था।

– प्रारंभिक नगर:

  – उरुक, ऊर, और लागाश जैसे नगर इसके प्रमुख उदाहरण थे।

  – ये नगर विश्व की सबसे पहली नगरीय सभ्यताओं में से थे।

– आर्थिक गतिविधियाँ:

  – कृषि और जलवायु के अनुकूल जल प्रबंधन से नगरों की वृद्धि संभव हुई।

  – सिंचाई प्रणाली ने उत्पादकता में वृद्धि की, जिससे व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को बल मिला।

– सामाजिक संरचना:

  – सामाजिक ढांचा वर्गीय था, जिसमें शासक, पुजारी, और शिल्पकार शामिल थे।

  – नगरों में प्रबंधन के लिए लेखन प्रणाली का विकास हुआ, जिसे क्यूनिफॉर्म कहा गया।

– धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू:

  – मंदिर और धार्मिक स्थल नगरों के केंद्र बिंदु थे।

  – धार्मिक अनुष्ठान और पूजा विधियों ने सामाजिक एकता को मजबूत किया।

– नगर नियोजन:

  – नगरों का नियोजन बारीकियों से किया गया, जिसमें बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शामिल था।

  – इन नगरों में दीवारें, सड़कें, और प्रशासनिक भवन जैसे संरचनाएँ शामिल थीं।

– वाणिज्य और व्यापार:

  – मेसोपोटामिया के नगर व्यापार और वाणिज्य के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बन गए।

  – यहाँ से अन्य क्षेत्रों में वस्त्र, धातु, और खाद्य पदार्थ भेजे जाते थे।

तीसरा उतर 

मेसोपोटामिया सभ्यता के नगरों का आरंभिक विकास नदी तटों के किनारे हुआ। यहाँ कृषि के उन्नत साधनों ने स्थायी निवास की नींव रखी। सबसे पहले उर, उरुक, और निप्पुर जैसे नगरों का निर्माण हुआ। इन नगरों का निर्माण मुख्यत: व्यापारिक केंद्र के रूप में हुआ था। कृषि की प्रगति ने फसलों की अधिशेष उपज को जन्म दिया, जिससे समाज में धनी वर्ग का उदय हुआ।

इन नगरों में मिट्टी की ईंटों से बने विशाल भवन, मन्दिर, और सुरक्षात्मक दीवारें बनाई गईं। सिंचाई की उन्नत प्रणाली ने जल की उपलब्धता सुनिश्चित की, जिससे कृषि का विस्तार हुआ। नगरों के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित हुए, जिससे यहाँ की संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था का विकास हुआ।

मेसोपोटामिया के नगरों में धार्मिक और प्रशासनिक केंद्रों की स्थापना ने समाज को संगठित किया। यहीं से लेखन कला और गणित का विकास हुआ, जिसने सभ्यता को एक नई दिशा दी। इस प्रकार, मेसोपोटामिया के नगर न केवल सभ्यता के केंद्र बने, बल्कि उन्होंने मानव इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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