मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला के विकास का वर्णन करें । Mesopotamia ki sabhyata mein lekhan Kala ke Vikas ka varnan Karen

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नमस्कार स्टूडेंट आज के इस आर्टिकल में बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं के इतिहास विषय कि अगस्त 2024 मासिक परीक्षा में पूछा जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न ‘मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला के विकास का वर्णन करें”(Mesopotamia ki sabhyata mein lekhan Kala ke Vikas ka varnan Karen) का जवाब दिया गया हैं। 

मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला के विकास का वर्णन करें । Mesopotamia ki sabhyata mein lekhan Kala ke Vikas ka varnan Karen

प्रश्न: मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला के विकास का वर्णन करें । Mesopotamia ki sabhyata mein lekhan Kala ke Vikas ka varnan Karen

उत्तर- मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला का उद्भव एक ऐतिहासिक घटना थी। सुमेरियन सभ्यता में सबसे पहले कीलाक्षर पद्धति का विकास हुआ, जिसमें मिट्टी की गोलियों पर लिखने के लिए नुकीले औजारों का प्रयोग किया जाता था। इस लेखन शैली को व्यापारिक और प्रशासनिक रेकॉर्ड रखने के लिए अपनाया गया। समय के साथ, यह पद्धति अधिक जटिल और प्रभावशाली बन गई, जिससे कानून, साहित्य और विज्ञान के लेखन में भी इसका इस्तेमाल होने लगा।

लेखन का यह प्रारंभिक रूप चित्रात्मक था, जिसमें चिन्हों और चित्रों के माध्यम से विभिन्न वस्तुओं और ध्वनियों को दर्शाया जाता था। आगे चलकर, इन चिन्हों को ध्वन्यात्मक लिपि में बदल दिया गया, जिससे शब्दों और वाक्यों को अधिक स्पष्टता से अभिव्यक्त किया जा सकता था। मेसोपोटामिया के लेखकों ने इस पद्धति को विकसित किया और इसे सभ्यता के हर पहलू में लागू किया, जिससे समाज में स्थिरता और संगठन में वृद्धि हुई।

दूसरा उतर 

मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला का उदय मानव इतिहास का एक अहम मोड़ था। इस क्षेत्र में लेखन की शुरुआत लगभग 3400 ईसा पूर्व मानी जाती है। मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता में सबसे पहले सुमेरियों ने मिट्टी की गोलियों पर चित्रलिपि के रूप में लिखना शुरू किया। इस चित्रलिपि को ‘क्यूनिफॉर्म’ कहा जाता था। 

शुरुआत में, चित्रलिपि प्रतीकों के रूप में होती थी, जिनका उपयोग संख्याओं, वस्तुओं, और सरल धारणाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता था। धीरे-धीरे, यह अधिक जटिल होती गई और उसमें ध्वन्यात्मक तत्व भी शामिल हुए, जिससे शब्द और ध्वनियों को भी व्यक्त किया जा सकता था। 

मेसोपोटामिया में लिखने के लिए नुकीले बर्तनों का प्रयोग किया जाता था, जिनसे वे गीली मिट्टी पर निशान बनाते थे। इसके बाद उन गोलियों को धूप में सुखा दिया जाता था ताकि वे कठोर हो जाएं और लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें।

इस लेखन शैली ने समाज के प्रशासन, व्यापार, और धर्म को संगठित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समय के साथ, यह कला अन्य क्षेत्रों में भी फैल गई और विभिन्न सभ्यताओं में अपनाई गई, जिससे लेखन का विश्वव्यापी विकास हुआ।

तीसरा उतर 

मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन कला का आरंभ लगभग 3400-3100 ईसा पूर्व हुआ। यहाँ के निवासियों ने सबसे पहले मिट्टी की गोलियों पर प्रतीकों का अंकन किया, जिन्हें कीलाक्षर कहते हैं। यह लेखन प्रणाली चित्रलिपि से विकसित हुई थी, जिसमें हर प्रतीक का एक विशेष अर्थ होता था। 

मेसोपोटामिया के सुमेरियन लोगों ने कीलाक्षर लेखन का सबसे ज्यादा उपयोग किया। उन्होंने इस कला को सरकारी रिकॉर्ड, धार्मिक ग्रंथों, साहित्यिक रचनाओं और वैयक्तिक अभिलेखों के रूप में सहेजा। 

मेसोपोटामिया की लेखन कला ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया बल्कि ज्ञान और संस्कृति को संरक्षित करने में भी अहम भूमिका निभाई। इस सभ्यता के पुस्तकालयों में रखी गई मिट्टी की गोलियों ने इतिहास, विज्ञान और साहित्य के कई पहलुओं को उजागर किया। 

इस लेखन कला की सबसे खास बात यह थी कि इससे भाषा को स्थायित्व मिला और ज्ञान का संचरण आसान हुआ। कीलाक्षर प्रणाली का प्रभाव आधुनिक लेखन प्रणालियों पर भी पड़ा, जिससे यह सभ्यता इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करती है।

चौथा उतर 

मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन का विकास सभ्यता की नींव के रूप में देखा जा सकता है। इस क्षेत्र में लेखन की शुरुआत लगभग 3400 ईसा पूर्व सुमेरियन लोगों द्वारा हुई थी। उन्होंने मिट्टी की पट्टियों पर कील के आकार की लिपि का इस्तेमाल किया, जिसे क्यूनिफॉर्म कहा जाता है। 

लेखन का प्रारंभिक उद्देश्य व्यापारिक रिकॉर्ड रखना था। व्यापारी अपनी वस्तुओं और लेन-देन का लेखा-जोखा इस लिपि में रखते थे। धीरे-धीरे यह कला समाज के अन्य क्षेत्रों में भी फैली। शासन, धर्म और साहित्य से जुड़े महत्वपूर्ण पाठ भी इसी लिपि में लिखे गए। 

सुमेरियन लेखन की शुरुआत चित्रलिपि से हुई थी, लेकिन समय के साथ यह अधिक परिष्कृत होती गई। प्रतीकों और ध्वनियों का प्रयोग अधिक व्यवस्थित हुआ, जिससे जटिल विचारों को व्यक्त करना संभव हुआ। क्यूनिफॉर्म लिपि का प्रयोग मेसोपोटामिया के विभिन्न नगर-राज्यों में होता रहा, और यह हित्ती, अक्कादी, और बाबिलोनियाई सभ्यताओं द्वारा भी अपनाई गई।

लेखन की इस कला ने मेसोपोटामिया को इतिहास में एक प्रमुख स्थान दिलाया। यहां के ग्रंथ, जैसे कि “गिलगमेश की महाकाव्य” और “हम्मुराबी की संहिता”, दुनिया की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। 

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