नमस्कार स्टूडेंट आज के इस आर्टिकल में बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं के इतिहास विषय कि अगस्त 2024 मासिक परीक्षा में पूछा जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न “‘मेगास्थनीज द्वारा वर्णित पाटलिपुत्र के नगर प्रशासन का उल्लेख करें” Megasthenes dwara varnit Patliputra ke Nagar prasaran ka ullekh Karen) का जवाब दिया गया हैं।
मेगास्थनीज द्वारा वर्णित पाटलिपुत्र के नगर प्रशासन का उल्लेख करें । Megasthenes dwara varnit Patliputra ke Nagar prasaran ka ullekh Karen
प्रश्न: मेगास्थनीज द्वारा वर्णित पाटलिपुत्र के नगर प्रशासन का उल्लेख करें । Megasthenes dwara varnit Patliputra ke Nagar prasaran ka ullekh Karen
उत्तर-
मेगास्थनीज, जो सिकंदर महान के समय के यूनानी यात्री और राजदूत थे, ने अपने भारत प्रवास के दौरान पाटलिपुत्र का बहुत ही विस्तृत वर्णन किया। यह नगर उस समय मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी और चंद्रगुप्त मौर्य का प्रमुख शासन केंद्र था। पाटलिपुत्र का नगर प्रशासन, उसकी संरचना और उसके कार्य करने के ढंग का वर्णन मेगास्थनीज ने अपने ग्रंथ ‘इंडिका’ में किया है।
मेगास्थनीज द्वारा वर्णित पाटलिपुत्र का नगर प्रशासन अपने समय में एक आदर्श नगर व्यवस्था का उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह उस समय की उन्नत सोच और प्रबंधन कौशल को दर्शाता है, जिससे मौर्य साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा। पाटलिपुत्र न केवल मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी, बल्कि एक सुव्यवस्थित और समृद्ध नगर था, जिसे मेगास्थनीज ने अपने लेखनी के माध्यम से हमारे सामने प्रस्तुत किया।
पाटलिपुत्र का नगर प्रशासन उस समय के भारत की समृद्धि और प्रबंधन कौशल को दर्शाता है। इस नगर की देखभाल और सुरक्षा के लिए एक सुव्यवस्थित तंत्र था। इस तंत्र के अनुसार, नगर को अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया था, जिनकी देखरेख के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त थे। पाटलिपुत्र में शासन का कामकाज कुशलता से चलाने के लिए विभिन्न विभाग बने हुए थे, जो अलग-अलग कार्यों के लिए जिम्मेदार थे।
नगर प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी सेना थी, जो नगर की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए तैनात रहती थी। इसके अलावा, नगर की सफाई और स्वास्थ्य व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा जाता था। सफाई के लिए अलग से अधिकारी नियुक्त थे, जो सुनिश्चित करते थे कि नगर में कहीं भी गंदगी न हो। साथ ही, जल आपूर्ति और जल निकासी की व्यवस्था भी बेहतरीन तरीके से की गई थी, ताकि नगरवासियों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
नगर की सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दरवाजों और दीवारों का निर्माण किया गया था, जो नगर को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रखते थे। नगर में प्रवेश के लिए कुछ निश्चित द्वार बनाए गए थे, जहां पहरेदार तैनात रहते थे। इन पहरेदारों की देखरेख में नगर में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की जांच की जाती थी।
पाटलिपुत्र की शासन व्यवस्था में व्यापार और वाणिज्य का भी खासा योगदान था। नगर प्रशासन ने व्यापार के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं, जिससे व्यापारी निर्बाध रूप से अपने कार्य कर सकते थे। इसके अलावा, नगर के बाजारों की देखरेख भी प्रशासन द्वारा की जाती थी, ताकि व्यापारिक गतिविधियों में किसी प्रकार की बाधा न हो।