नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 11 के English subject के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “कार्य की परिभाषा लिखें। धनात्मक कार्य, ऋणात्मक कार्य और शून्य कार्य’ की सोदाहरण व्याख्या करें” (Karya ki paribhasha likhe jinnatmak karya runatmak karya aur sunane karya ki sadharan vyakhya Karen”का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
कार्य की परिभाषा लिखें। धनात्मक कार्य, ऋणात्मक कार्य और शून्य कार्य’ की सोदाहरण व्याख्या करें । Karya ki paribhasha likhe jinnatmak karya runatmak karya aur sunane karya ki sadharan vyakhya Karen
Q: कार्य की परिभाषा लिखें। धनात्मक कार्य, ऋणात्मक कार्य और शून्य कार्य’ की सोदाहरण व्याख्या करें । Karya ki paribhasha likhe jinnatmak karya runatmak karya aur sunane karya ki sadharan vyakhya Karen
Answer – कार्य की परिभाषा:
कार्य, एक वस्तु पर लगने वाली बल के कारण वस्तु के स्थानांतरण की प्रक्रिया को दर्शाता है। इसे गणितीय रूप में बल और वस्तु के बीच की दिशा में अवयव के गुणा के रूप में व्यक्त किया जाता है।
धनात्मक कार्य:
जब बल और वस्तु की गति की दिशा एक ही होती है, तब कार्य धनात्मक होता है। उदाहरण के लिए, जब आप एक बुक को ऊपर उठाते हैं, तब बल और गति एक ही दिशा में होती है, इसलिए कार्य धनात्मक है। यह कार्य वस्तु की ऊर्जा में वृद्धि करता है।
ऋणात्मक कार्य:
ऋणात्मक कार्य तब होता है जब बल और गति की दिशा विपरीत होती है। उदाहरण के लिए, यदि एक कार ब्रेक लगाती है, तो ब्रेक की दिशा और कार की गति की दिशा विपरीत होती है, जिससे कार्य ऋणात्मक होता है और कार की ऊर्जा कम होती है।
शून्य कार्य:
जब बल और वस्तु की गति की दिशा एक-दूसरे के प्रति लंबवत होती है, तब कार्य शून्य होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप एक भारी पिठ्ठू को एक स्थिर दीवार के खिलाफ धक्का देते हैं, तो बल और गति की दिशा एक-दूसरे के प्रति लंबवत होती है, और कार्य शून्य होता है।
दूसरा उतर
कार्य की परिभाषा और प्रकार
कार्य की परिभाषा: कार्य (Work) एक भौतिक परिघटना है जब कोई बल (Force) वस्तु पर लगाकर उसे उसकी गति की दिशा में स्थानांतरित करता है।
1. **धनात्मक कार्य**: जब बल और वस्तु की गति की दिशा समान होती है, तो कार्य धनात्मक होता है। उदाहरण के लिए, एक बॉक्स को खींचना जब आप उसे अपनी दिशा में खींचते हैं, तब आप धनात्मक कार्य कर रहे हैं।
2. **ऋणात्मक कार्य**: जब बल और गति की दिशा विपरीत होती है, तो कार्य ऋणात्मक होता है। उदाहरण के लिए, यदि आप एक बॉक्स को धक्का देते हैं और वह आपके विपरीत दिशा में चल रहा है, तो यह ऋणात्मक कार्य होगा।
3. **शून्य कार्य**: जब बल लगाकर भी वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो कार्य शून्य होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप एक स्थिर दीवार को धक्का देते हैं, तो इस स्थिति में कार्य शून्य होगा।