हम्मूराबी की विधि संहिता की विशेषताओं को लिखिए । Hammurabi ki vidhi sanhita ki visheshtaon ko likhiye 

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नमस्कार स्टूडेंट आज के इस आर्टिकल में बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं के इतिहास विषय कि अगस्त 2024 मासिक परीक्षा में पूछा जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न ‘हम्मूराबी की विधि संहिता की विशेषताओं को लिखिए”(Hammurabi ki vidhi sanhita ki visheshtaon ko likhiye) का जवाब दिया गया हैं। 

हम्मूराबी की विधि संहिता की विशेषताओं को लिखिए । Hammurabi ki vidhi sanhita ki visheshtaon ko likhiye

प्रश्न: हम्मूराबी की विधि संहिता की विशेषताओं को लिखिए । Hammurabi ki vidhi sanhita ki visheshtaon ko likhiye

उत्तर- हम्मूराबी की विधि संहिता की विशेषताएं:

  1. – यह दुनिया की सबसे पुरानी लिखित विधि संहिताओं में से एक है।
  2. – इसमें 282 नियम शामिल थे, जिनका उद्देश्य समाज में न्याय और व्यवस्था बनाए रखना था।
  3. – संहिता में सामाजिक वर्गों के आधार पर विभिन्न दंड का प्रावधान था।
  4. – ‘आंख के बदले आंख’ का सिद्धांत प्रमुख था, जिसमें अपराध और दंड का सीधा संबंध था।
  5. – इस संहिता में आर्थिक, सामाजिक और नैतिक मामलों का समाधान देने का प्रयास किया गया था।
  6. – यह सुमेरियन, अक्कादी और बाबिलोनियन कानूनों का मिश्रण है।
  7. – संहिता का मुख्य उद्देश्य न्यायपूर्ण शासन की स्थापना करना था।
  8. – इसमें पारिवारिक कानून, व्यापारिक लेन-देन, संपत्ति, अपराध और दंड के नियम स्पष्ट रूप से दिए गए थे।

दूसरा उतर 

हम्मूराबी की विधि संहिता प्राचीन काल की एक महत्वपूर्ण कानूनी व्यवस्था थी। इसमें कई नियम और कानून शामिल थे, जो समाज के विभिन्न वर्गों के लिए लागू होते थे। संहिता में कड़े दंड दिए गए थे, जैसे “आंख के बदले आंख” और “दांत के बदले दांत” का सिद्धांत। इसमें न्याय और अनुशासन का विशेष ध्यान रखा गया था, ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।

संहिता में व्यापार, संपत्ति विवाद, विवाह, तलाक, और दासता जैसे मामलों के लिए भी कानून बनाए गए थे। हम्मूराबी की विधि संहिता समाज के हर वर्ग के लिए न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करती थी। यह प्राचीन मेसोपोटामिया में कानूनी व्यवस्था का आधार बनी और भविष्य के कानूनी सिस्टम पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। यह संहिता न केवल न्याय के सिद्धांतों को स्थापित करती थी, बल्कि शासकों के कर्तव्यों और अधिकारों को भी परिभाषित करती थी। यह संहिता विश्व इतिहास की पहली कानूनी संहिताओं में से एक मानी जाती है, जिसने आगे के समाजों में न्याय और कानून की नींव रखी।

तीसरा उतर 

हम्मूराबी की विधि संहिता दुनिया की प्राचीनतम और सबसे प्रभावशाली कानूनी व्यवस्थाओं में से एक है। इसे लगभग 1754 ईसा पूर्व में बाबुल के राजा हम्मूराबी ने तैयार करवाया था। इस संहिता में 282 कानून शामिल थे, जो समाज के विभिन्न पहलुओं पर आधारित थे। इनमें व्यापार, विवाह, संपत्ति, अपराध, और दंड आदि के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। 

यह संहिता समाज में न्याय और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बनाई गई थी, और इसे पत्थर पर उकेरा गया था ताकि जनता के लिए सुलभ हो। कानूनों का पालन न करने पर सख्त दंड का प्रावधान था। 

इस संहिता का मुख्य लक्ष्य समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देना था। इसके अलावा, हम्मूराबी की संहिता ने आगे चलकर कई अन्य सभ्यताओं के कानूनों पर भी गहरा प्रभाव डाला। 

इस विधि संहिता की रचना ने इतिहास में कानून और न्याय की नींव रखी और आज भी इसे कानून के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाता है।

चौथा उतर 

हम्मूराबी की विधि संहिता को प्राचीन सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में गिना जाता है। इसमें 282 नियमों का समावेश था, जो बाबिलोनिया के समाज के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते थे। यह संहिता प्राचीन मेसोपोटामिया के राजा हम्मूराबी द्वारा बनाई गई थी, और इसका लक्ष्य समाज में न्याय और स्थिरता बनाए रखना था। इसमें सामाजिक वर्गों के आधार पर अलग-अलग दंड का प्रावधान था, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर व्यक्ति को उसकी स्थिति के अनुसार न्याय मिले। ‘आंख के बदले आंख’ जैसे सिद्धांत इस संहिता के मुख्य आकर्षण थे। यह विधि संहिता न केवल कानून व्यवस्था का पालन करवाने में सहायक थी, बल्कि इसे सभ्यता के विकास में एक मील का पत्थर भी माना जाता है।

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