नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में कक्षा 11 के History विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन करें”(Hadappa sabhyata ke dharmik jivan ka varnan Karen) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन करें । Hadappa sabhyata ke dharmik jivan ka varnan Karen
Q: हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन करें । Hadappa sabhyata ke dharmik jivan ka varnan Karen
Answer –
हड़प्पा सभ्यता के लोग पशुपति या शिव की पूजा करते थे। इसके प्रमाण खुदाई में मिली मुद्रा और शिल्पों में देखने को मिलते हैं।
उन्होंने धरती और पेड़ों की भी पूजा की, खासकर पीपल के वृक्ष को पवित्र माना गया।
उनके धार्मिक जीवन में मातृ देवी का विशेष स्थान था, जो उर्वरता और जीवन का प्रतीक मानी जाती थी।
वे किसी स्थायी मंदिर का निर्माण नहीं करते थे, बल्कि प्रकृति के विभिन्न रूपों को ही अपने धार्मिक जीवन का हिस्सा मानते थे।
आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न
Q. हड़प्पा सभ्यता के नगर योजना की दो विशेषताएं लिखिए
Q. लोथल कहां है बंदरगाह के रूप में इसका क्या महत्व है
Q. हड़प्पा सभ्यता में शवों के दाह संस्कार के प्रकार लिखें
Q. मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार की दो विशेषताएँ लिखें
Q. हड़प्पा सभ्यता के पतन के दो कारण लिखिए
Q. हड़प्पा सभ्यता के वाणिज्य एवं व्यापार का वर्णन करें
Q. हड़प्पा सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास की चर्चा करें
Q. हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन करें
दूसरा उतर
हड़प्पा सभ्यता में धार्मिक जीवन में प्रकृति की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे धरती, जल, और अग्नि को पूजनीय मानते थे।
खुदाई में मिले शिलालेख और मूर्तियाँ यह दर्शाते हैं कि वे योग और ध्यान में विश्वास रखते थे।
उनका धार्मिक जीवन किसी खास पवित्र स्थल तक सीमित नहीं था। वे सामान्य जीवन में ही धार्मिक कृत्य करते थे।
हड़प्पा के लोग मंदिर या धार्मिक स्थलों का निर्माण नहीं करते थे, बल्कि उनकी पूजा प्रणाली सरल और प्राकृतिक थी।
तीसरा उतर
हड़प्पा सभ्यता में मातृ देवी की पूजा प्रमुख थी। वे उसे उर्वरता और समृद्धि की प्रतीक मानते थे।
खुदाई में मिली मातृ देवी की मूर्तियाँ इस बात का प्रमाण हैं। इसके अलावा, पशुओं की पूजा भी की जाती थी।
इस सभ्यता में जल को भी पवित्र माना गया था, जैसा कि बड़े स्नानागारों की उपस्थिति से स्पष्ट है। ये स्नानागार संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बनाए गए थे।
वे स्थायी धार्मिक ढांचों का निर्माण नहीं करते थे, लेकिन उनका विश्वास गहरे धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा था।
चौथा उतर
हड़प्पा सभ्यता में व्यापार और प्रौद्योगिकी
हड़प्पा सभ्यता का व्यापार तंत्र प्रौद्योगिकी के साथ विकसित हुआ था। वे लंबी दूरी तक व्यापार करते थे और इसके लिए नावों और सड़कों का उपयोग करते थे। जलमार्गों का निर्माण और समुद्री व्यापार उनकी प्रौद्योगिकी के विकास का हिस्सा था। व्यापारिक केंद्रों में उपयोग होने वाले वजन और माप उपकरण भी विकसित थे। हड़प्पा सभ्यता का व्यापारिक नेटवर्क मृदभांड, आभूषण और धातु के उपकरणों के आदान-प्रदान पर आधारित था। इसका स्पष्ट प्रमाण उनके विभिन्न व्यापारिक केंद्रों में प्राप्त अवशेषों से मिलता है, जो इस सभ्यता के प्रौद्योगिकी में योगदान को दर्शाता है।