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फिर भी रोता ही रहता है नहीं मानता है मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है सूना सूना जीवन मेरा व्याख्या करें 

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नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न ” फिर भी रोता ही रहता है नहीं मानता है मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है सूना सूना जीवन मेरा व्याख्या करें  । Fir bhi rota hi rahata nahin manta man Mera bada jatil Neeraj lagta Suna jivan Mera vyakhya Karen”का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।

फिर भी रोता ही रहता है नहीं मानता है मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है सूना सूना जीवन मेरा व्याख्या करें  । Fir bhi rota hi rahata nahin manta man Mera bada jatil Neeraj lagta Suna jivan Mera vyakhya Karen

प्रश्न: फिर भी रोता ही रहता है नहीं मानता है मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है सूना सूना जीवन मेरा व्याख्या करें 

उत्तर –

सप्रसंग व्याख्या: 

यह पंक्तियां सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘पुत्र वियोग’ नामक कविता की पंक्तियां हैं, इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री पुत्र वियोग से व्यथित अपने मन की पीड़ा को व्यक्त कर रही है।

इन पंक्तियों में कवयित्री अपने पुत्र के बिछड़ने के बाद उसके दर्द और खालीपन को व्यक्त कर रही हैं। उनका दिल मानने को तैयार नहीं कि उनका पुत्र अब वापस नहीं आएगा। वह अपने मन की गहरी उदासी को प्रकट करती हैं, और यह उदासी उनके पूरे जीवन में छा जाती है। जीवन में अब कोई खुशी नहीं बची है और हर पल सिर्फ पीड़ा महसूस होती है। कवयित्री के लिए संसार अब निराशा से भरा है, और सब कुछ बेरंग हो गया है। इन पंक्तियों के माध्यम से वे जीवन की उस स्थिति का वर्णन करती हैं जब किसी प्रियजन की अनुपस्थिति से मन और जीवन दोनों सूना-सूना लगने लगते हैं।

आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न

Q. सच है जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण प्रकट नहीं होता सप्रसंग व्याख्या करें

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Q. फिर भी रोता ही रहता है नहीं मानता है मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है सूना सूना जीवन मेरा व्याख्या करें 

Q. पासबुक खो जाने की शिकायत बैंक मैनेजर को पत्र लिखकर करें

or

Q. अपने प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखकर अपनी फीस माफी हेतु प्रार्थना करें

Q. हरचरना कौन है

Q. मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं

Q. नागरिक क्यों व्यस्त है क्या उनकी व्यस्तता जायज है

Q. लहना सिंह कौन था

Q. बुद्ध ने आनंद से क्या कहा

दूसरा उतर 

यह पंक्तियां सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘पुत्र वियोग’ नामक कविता की पंक्तियां हैं, इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री पुत्र वियोग से व्यथित अपने मन की पीड़ा को व्यक्त कर रही है। 

इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने अपने हृदय की गहन पीड़ा का वर्णन किया है। अपने पुत्र के वियोग से व्यथित कवयित्री का हृदय यह स्वीकार नहीं कर पाता कि उसका पुत्र हमेशा के लिए चला गया है। वह अपने जीवन को एक खाली और अर्थहीन समझती हैं। इन शब्दों में उन्होंने अपनी आंतरिक पीड़ा और उस गहरे शून्य का चित्रण किया है जो उनके जीवन में उनके पुत्र की अनुपस्थिति से उत्पन्न हुआ है। जीवन का हर क्षण उन्हें कठिन और निराशाजनक लगता है, और इस दुख में उनकी हर आशा जैसे धुंधली हो गई है। यह पंक्तियाँ एक माँ के हृदय की पीड़ा और असहनीय दुख को दर्शाती हैं।

तीसरा उतर 

यह पंक्तियां सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘पुत्र वियोग’ नामक कविता की पंक्तियां हैं, इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री की यह रचना एक माँ की वेदना को बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है। 

उनका मन अपने पुत्र की यादों में खोया रहता है और उसे यह बात स्वीकार नहीं होती कि उसका पुत्र अब कभी लौटकर नहीं आएगा। वह अपने जीवन को सूना और अर्थहीन महसूस करती हैं। जीवन में कोई रंग या खुशी नहीं बची है। ये पंक्तियाँ एक माँ के उस दुख का चित्रण करती हैं जो किसी प्रियजन के बिछड़ने से उत्पन्न होता है। कवयित्री का पूरा संसार जैसे ठहर गया है, और इस पीड़ा से उनका जीवन अब सिर्फ दर्द में डूबा हुआ है। 

चौथा उतर 

यह पंक्तियां सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘पुत्र वियोग’ नामक कविता की पंक्तियां हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने पुत्र वियोग की पीड़ा को व्यक्त किया है। 

कवयित्री यह मानने को तैयार नहीं कि अब उनका पुत्र लौटकर नहीं आएगा। उनके जीवन से हर खुशी और रंग गायब हो गए हैं। अब सिर्फ उदासी और निराशा बची है। हर चीज़ सूनी और नीरस लगती है। इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपनी आंतरिक भावनाओं को प्रकट किया है, जो पुत्र के जाने के बाद उनके जीवन में उत्पन्न हुए शून्य को दर्शाता है। उनका जीवन उन्हें अब अधूरा और खाली महसूस होता है, और इस दुख के साथ जीना बहुत कठिन हो गया है।

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