नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 9 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है”(Bucchi dai sunane mein lilavati ko Anandatirek ki Anubhuti kyon hoti hai) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है । Bucchi dai sunane mein lilavati ko Anandatirek ki Anubhuti kyon hoti hai
प्रश्न:‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है । Bucchi dai sunane mein lilavati ko Anandatirek ki Anubhuti kyon hoti hai
उत्तर – नरेश जब लीलावती से ‘बुच्ची दाय’ कहता है, तो उसके शब्दों में एक गहरा लगाव और स्नेह महसूस होता है। यह स्नेहभरा सम्बोधन लीलावती के दिल को गहराई से छू लेता है, जिससे उसे सुखद अनुभूति होती है। यह संबोधन रिश्ते में आत्मीयता और प्रेम को दर्शाता है।
आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न
Q. ललित निबंध की क्या विशेषता होती है?
Q. निबंध लेखन में कल्पना का क्या महत्त्व है
Q. लेखक जगदीश नारायण चौबे के अनुसार हिन्दी निबंध की दुर्दशा का कारण क्या है
Q. ‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है
Q. लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है
Q. निम्मो समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है
Q. कवि विजय कुमार ने निम्मो की तुलना ‘भीगी हुई चिड़िया’ से क्यों की है
Q. गाँव शहर से किस प्रकार मित्र होता है ‘सुखी नदी का पुल’ शीर्षक पाठ के अनुसार वर्णन करें
Q. अच्छे निबंध के लिए क्या आवश्यक है विस्तार से तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए
Q. ‘निम्मो की मौत पर शीर्षक पाठ का भावार्थ लिखे
Q. फिल्म निर्देशक प्रकाश झा का परिचय दीजिए
दूसरा उतर
‘बुच्ची दाय’ शब्द सुनकर लीलावती के मन में खुशी की लहर दौड़ जाती है। नरेश के बोलने के ढंग में एक सहजता और गर्मजोशी है, जिससे लीलावती को आत्मीयता का अनुभव होता है। इस आत्मीयता के कारण वह आनंद से भर जाती है और मुस्कुराती है।
तीसरा उतर
नरेश जब ‘बुच्ची दाय’ कहता है, तो उसमें उसके स्नेह और भावनाओं की झलक मिलती है। लीलावती को यह संबोधन बेहद प्रिय लगता है, क्योंकि इसमें नरेश की आत्मीयता और गर्मजोशी छिपी होती है, जो उसे खुशी से भर देती है।
चौथा उतर
‘बुच्ची दाय’ सुनते ही लीलावती के दिल में एक खास खुशी का एहसास होता है। नरेश के इस संबोधन में छिपी भावनाएँ उसे आत्मीयता का अनुभव कराती हैं, और यह स्नेहभरा सम्बोधन उसके लिए विशेष महत्व रखता है, जो उसे आनंद से भर देता है।