नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 9 के हिंदी विषय के सितंबर 2024 के मंथली एग्जाम में पूछा गया अति महत्वपूर्ण प्रश्न “लेखक जगदीश नारायण चौबे के अनुसार हिन्दी निबंध की दुर्दशा का कारण क्या है”(Lekhak Jagdish Narayan chaube ke anusar Hindi nibandh ki durdasha ka Karan kya hai) का उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट में इस प्रश्न के तीन से चार उतर दिए गए हैं। और तीनों उत्तर बिल्कुल सही है। आप इन तीनों उत्तरों में से किसी भी उत्तर को अपने एग्जाम में लिख सकते हैं।
लेखक जगदीश नारायण चौबे के अनुसार हिन्दी निबंध की दुर्दशा का कारण क्या है . Lekhak Jagdish Narayan chaube ke anusar Hindi nibandh ki durdasha ka Karan kya hai
प्रश्न: लेखक जगदीश नारायण चौबे के अनुसार हिन्दी निबंध की दुर्दशा का कारण क्या है . Lekhak Jagdish Narayan chaube ke anusar Hindi nibandh ki durdasha ka Karan kya hai
उत्तर – लेखक के अनुसार निबंध की दुर्दशा का एक विशिष्ट कारण यह है कि छात्र निबंध-लेखन में खींच-तान के प्रयास से उसके आकार को नावश्यक रूप से लंबा कर देते हैं। इस तरह एक पृष्ठ में समाप्त होनेवाले निबंध को वे दो-तीन पृष्ठों तक खींचकर ले जाते हैं और निबंध के स्वरूप को विकृत कर उबाऊ कर देते हैं
आज के पेपर में पूछे गए प्रश्न
Q. ललित निबंध की क्या विशेषता होती है?
Q. निबंध लेखन में कल्पना का क्या महत्त्व है
Q. लेखक जगदीश नारायण चौबे के अनुसार हिन्दी निबंध की दुर्दशा का कारण क्या है
Q. ‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है
Q. लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है
Q. निम्मो समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है
Q. कवि विजय कुमार ने निम्मो की तुलना ‘भीगी हुई चिड़िया’ से क्यों की है
Q. गाँव शहर से किस प्रकार मित्र होता है ‘सुखी नदी का पुल’ शीर्षक पाठ के अनुसार वर्णन करें
Q. अच्छे निबंध के लिए क्या आवश्यक है विस्तार से तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए
Q. ‘निम्मो की मौत पर शीर्षक पाठ का भावार्थ लिखे
Q. फिल्म निर्देशक प्रकाश झा का परिचय दीजिए
दूसरा उतर
लेखक का मानना है कि छात्रों की यह प्रवृत्ति कि वे निबंध को लम्बा करने के लिए उसमें अतिरिक्त सामग्री जोड़ते हैं, निबंध की आत्मा को कमजोर कर देती है। परिणामस्वरूप, निबंध न तो रोचक रहता है, न ही प्रभावी।
तीसरा उतर
लेखक ने इसे एक समस्या के रूप में देखा, जहां छात्र निबंध की लंबाई बढ़ाने के चक्कर में उसकी सादगी और मूल उद्देश्य से भटक जाते हैं। इस कारण निबंध की शैली और प्रभाव कम हो जाता है।
चौथा उतर
लेखक का कहना है कि छात्र निबंध को उसकी जरूरत से ज्यादा बड़ा बनाने की कोशिश करते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। निबंध छोटा और सटीक होना चाहिए, लेकिन इसे खींचकर बढ़ाने से वह निरस हो जाता है।